राजस्थान के कोटा में पढ़ाई के दबाव में छात्रों की आत्महत्या पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने पूछा है कि आखिर एक ही शहर में इतने छात्र क्यों आत्महत्या कर रहे हैं? कोर्ट ने यह सवाल तब किया जब उसे जानकारी दी गई कि इस साल कोटा में अभी तक 14 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं. पिछले साल भी कोटा में 17 छात्रों ने आत्महत्या की थी.
3 मई को कोटा में रह कर नीट परीक्षा की तैयारी कर रही एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी. उस मामले में एफआईआर दर्ज न करने के लिए कोर्ट ने राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाई. जस्टिस जे बी पारडीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसे कोर्ट की अवमानना बताया. ध्यान रहे कि इस साल 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया था कि छात्रों की आत्महत्या के मामले में वह तुरंत एफआईआर दर्ज करें.
24 मार्च के आदेश में कोर्ट ने पढ़ाई के दबाव में आत्महत्या करने वाले छात्रों की मानसिक स्थिति पर रिपोर्ट के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स का भी गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रविंद्र भाट की अध्यक्षता वाले इस टास्क फोर्स को 4 महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को आईआईटी, खड़गपुर में आत्महत्या करने वाले एक छात्र के मामले की भी चर्चा हुई. इस मामले में पुलिस ने 4 दिन बाद एफआईआर दर्ज की थी. कोर्ट ने इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई. कोटा पुलिस ने छात्रा की आत्महत्या के मामले में अभी तक एफआईआर नहीं लिखी है. इसे प्रथमदृष्टया अवमानना मानते हुए जजों ने आदेश दिया कि संबंधित पुलिस अधिकारी 14 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हों.