नए बाजार, GDP और निर्यात को बढ़ावा…,ट्रंप टैरिफ पर आयी वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट क्या कहती है

नए बाजार, GDP और निर्यात को बढ़ावा…,ट्रंप टैरिफ पर आयी वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट क्या कहती है


Foreign Ministry Report On Trump Tariffs: भारत-अमेरिका के बीच सफल द्विपक्षीय व्यापार समझौता मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बना सकता है. इससे नए बाजारों तक पहुंच खुल सकती है और निर्यात को जबरदस्त बढ़ावा मिल सकता है. वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है. भारत और अमेरिका 8 जुलाई से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को निष्कर्ष पर पहुंचा सकते हैं. भारत घरेलू वस्तुओं पर 26 प्रतिशत के जवाबी शुल्क से पूरी छूट देने पर जोर दे रहा है.

अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाया था. लेकिन इसे 90 दिन के लिए यानी 9 जुलाई तक उस पर ब्रेक लगा दिया था. हालांकि, 10 प्रतिशत मूल शुल्क को लागू रखा गया है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत में निवेश के लिए आकर्षक गंतव्यों में से एक बने रहने की क्षमता है.

बढ़ सकता है निवेश

वित्त मंत्रालय की मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में कहा गया कि फॉरेन इन्वेस्टर उन नीतियों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं, जो देश की मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को मजबूत करती हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि विशेष रूप से, देश के युवा कार्यबल के कौशल और उत्पादकता को बढ़ाने वाली नीतियां निवेश और वृद्धि के चक्र को काफी मजबूत कर सकती हैं. इसके अनुसार, भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख इकोनॉमी बना हुआ है. जहां विभिन्न वैश्विक एजेंसियों ने अन्य देशों की वृद्धि दर में महत्वपूर्ण कटौती की है, वहीं भारत के मामले में यह सबसे कम है. 

IMF के विश्व आर्थिक परिदृश्य (अप्रैल 2025) के अनुसार, 2025-26 के लिए भारत की वास्तविक GDP वृद्धि 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो जनवरी, 2025 में इसके पिछले पूर्वानुमान से 0.30 प्रतिशत कम है. ये संशोधन वैश्विक अनिश्चितताओं और व्यापार तनाव को देखते हुए किये गये हैं. 

ग्रोथ रेट 6.3 प्रतिशत से ज्यादा रहने का अनुमान

कई एजेंसियों ने फाइनेंशियल ईयर 2025-26 में भारत की वृद्धि 6.3 प्रतिशत से 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जिसे मजबूत घरेलू बुनियाद, स्थिर वृहद आर्थिक प्रबंधन और बढ़ते सरकारी पूंजीगत व्यय से समर्थन मिल रहा है. वहीं घटती मुद्रास्फीति इस परिदृश्य को और मजबूत करती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय इकोनॉमी के लिए मजबूत घरेलू बुनियाद, सूझबूझ वाला वृहद आर्थिक प्रबंधन और बाहरी झटकों को झेलने की क्षमता इसकी विशेषता बनी हुई है. मजबूत निजी खपत, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार और मजबूत सेवा निर्यात विकास के प्राथमिक इंजन बने हुए हैं. इसमें कहा गया, ‘‘सेवा क्षेत्र में लगातार स्वस्थ विस्तार हो रहा है. इससे वस्तु निर्यात में कुछ नरमी की भरपाई हो रही है. भारतीय रुपया अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा भंडार बाहरी झटकों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर रहा है.’’ 

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के मामले में दृष्टिकोण आशावादी बना हुआ है. आने वाले समय में रबी की अच्छी फसल, ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत रकबे में वृद्धि और खाद्यान्नों के बेहतर बफर स्टॉक के कारण खाद्य मुद्रास्फीति दबाव कम रहने की उम्मीद है.  मौसम विभाग का सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान तथा कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट महंगाई में कमी के रुख को मजबूत करती है. 

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