Top 5 Weapon Technology: मध्य पूर्व में सऊदी अरब एक ऐसा देश है जो क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता मानता है. लेकिन जब उसके चारों ओर यमन, सीरिया, इराक जैसे देश युद्ध की आग में झुलस रहे हों तो रियाद को अपनी सैन्य शक्ति को मज़बूत बनाए रखना अनिवार्य हो जाता है. किंग सलमान इस बात को अच्छी तरह समझते हैं और यही कारण है कि सऊदी सेना आधुनिक तकनीक और ताक़तवर हथियारों से लैस है. आइए जानते हैं वो पांच घातक हथियार जिनकी बदौलत सऊदी अरब अपनी सैन्य रणनीति को अंजाम देता है.
F-15/F-15A/F-15SA फाइटर जेट्स
सऊदी एयरफोर्स की रीढ़ माने जाने वाले ये लड़ाकू विमान अमेरिका द्वारा विकसित किए गए हैं और रियाद के पास लगभग 238 F-15 मौजूद हैं. इनमें 84 आधुनिकतम F-15SA शामिल हैं जो 2010 में अमेरिका से खरीदे गए थे. ये विमान लंबी दूरी तय करने में सक्षम हैं जिसकी वजह से पायलट्स को इराक के उत्तर और यमन के दक्षिण में मिशन के लिए हवा में ईंधन भरवाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. ये क्षमता हौथी विद्रोहियों और ISIL के ख़िलाफ़ अभियानों में बहुत मददगार रही है.
Paveway IV Bomb
500 पाउंड वज़नी यह बम अपनी सटीकता और मारक क्षमता के लिए जाना जाता है. ब्रिटेन के साथ सऊदी के रक्षा सहयोग की वजह से सऊदी वायुसेना इसे यमन जैसे संघर्ष क्षेत्रों में सक्रिय रूप से इस्तेमाल करती है. यह बम GPS-निर्देशित तकनीक से लैस है और ख़राब मौसम में भी निशाने पर सटीक वार करता है. F-15 विमान इन हल्के बमों को ज़्यादा मात्रा में लेकर उड़ सकता है जिससे मिशन के दौरान बार-बार बेस पर लौटने की ज़रूरत नहीं पड़ती.
सऊदी विशेष बल (Special Forces)
सऊदी अरब के कमांडो यूनिट्स, अमेरिकी स्पेशल फोर्सेस की तरह, छिपे हुए अभियानों, प्रशिक्षण, और हथियार आपूर्ति जैसे मिशनों में माहिर हैं. यमन के अदन क्षेत्र में हादी समर्थक बलों को सऊदी विशेष बलों से मिली मदद ने हौथी विद्रोहियों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था. अत्याधुनिक युद्ध वाहनों (जैसे MRAP और Enigma) के साथ इन बलों ने ज़मीन पर रणनीतिक बढ़त हासिल की है. सीरिया में ISIL के ख़िलाफ़ लड़ रहे समूहों को प्रशिक्षण देने में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
आर्थिक ताक़त (Cash)
तेल से मालामाल सऊदी अरब के पास अपार धन है जिसे वह सामरिक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है. उसका रक्षा बजट लगातार बढ़ता जा रहा है और वह मध्य पूर्व का सबसे बड़ा हथियार ख़रीदार बन चुका है. 2002 में जहाँ इसका डिफेंस बजट 20 अरब डॉलर था, वहीं अब यह 80 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच चुका है. जब किसी देश के पास इतना पैसा हो तो वह सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि रणनीतिक प्रभाव भी ख़रीद सकता है.
कूटनीतिक प्रभाव (Diplomatic Influence)
सऊदी अरब की असली ताक़त उसका ‘चेकबुक डिप्लोमेसी’ मॉडल है मतलब वो अपने धनबल से अन्य देशों को अपने पक्ष में कर लेता है. मिस्र, पाकिस्तान, बहरीन, जॉर्डन और यहां तक कि अमेरिका भी सऊदी मदद के चलते उसके कुछ न कुछ ऋणी हैं. चाहे आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण हो, सैन्य अड्डों की मेज़बानी हो या ISIL पर हमले सऊदी नेतृत्व क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए पर्दे के पीछे बड़ी चालें चलता है.
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