<p style="text-align: justify;">ऑपरेशन सिंदूर में मिली करारी हार को भले पाकिस्तान दुनिया के सामने स्वीकार न करे और जीत के झूठे जश्न मनाता रहे, लेकिन अंदर से तो वो जानता है कि उसको कितना बड़ा नुकसान हुआ है. भारत के हथियारों ने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. मेक इन इंडिया हथियारों की ताकत <a title="ऑपरेशन सिंदूर" href="https://www.abplive.com/topic/operation-sindoor" data-type="interlinkingkeywords">ऑपरेशन सिंदूर</a> के तहत पूरी दुनिया ने देखी. </p>
<p style="text-align: justify;">पाकिस्तान के इस नुकसान की एक और बड़ी वजह चीनी हथियार भी हैं, जिन पर उसने आंख बंद करके भरोसा किया. जब भारत की मिसाइलें सामने आईं तो ये हथियार टिक नहीं पाए. शायद यही वजह है कि अब पाकिस्तान चीन के बजाय तुर्किए से हथियार खरीदने की तैयारी में है.</p>
<p style="text-align: justify;">पाकिस्तान अपने एयर डिफेंस को मॉर्डनाइज करने की तैयारी में हैं और इसलिए वह तुर्किए से ऐसा रडार सिस्टम खरीद रहा है, जो लंबी दूरी से खतरों का पता लगा लेगा. 8 से 10 मई के बीच हुई भारत और पाकिस्तान की लड़ाई में चीनी एयर डिफेंस सिस्टम HQ9 पूरी तरह से विफल रहे थे और वह भारतीय हमलों के खतरों को पहचान नहीं सके. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान अत्याधुनिक ALP-300G रडार सिस्टम खरीदने वाला है, जिसके लिए पाक एयरफोर्स ने टर्किश डिफेंस कंपनी Aselsan से संपर्क किया है. इस रडार सिस्टम को तैनात करना काफी आसान है, जिसमें सिर्फ 30 मिनट लगते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>एयर डिफेंस का आधुनिकीकरण कर रहा पाकिस्तान</strong><br />ALP-300G को लंबी दूरी की प्रारंभिक चेतावनी और वायु रक्षा के लिए डिजाइन किया गया है. यह रडार सिस्टम AESA और डिजिटल बीमफॉर्मिंग तकनीक से लैस है, जो बैलिस्टिक मिसाइलों, एंटी-रेडिएशन मिसाइलों के साथ स्टेल्थ एयरक्राफ्ट और ड्रोन सहित कई तरह के लक्ष्यों का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने में इसे सक्षम बनाते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है तुर्किए का ALP-300G?</strong><br />Aselsan की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार ALP-300G काफी दूर से ही बैलिस्टिक मिसाइल, एंटी-रेडिएशन मिसाइल और स्टेल्थ या लॉ रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) टार्गेट्स को डिटेक्ट और ट्रैक कर सकता है. इसका मल्टी चैनल बीम फॉर्मिंग ढांचा एक साथ कई बीम संचालन में मदद करता है, जो मल्टी-फंक्शन और मल्टी मिशन क्षमताओं के लिए मार्ग प्रशस्त करता है. </p>
<p style="text-align: justify;">इसे 10 टन श्रेणी के पहिएदार वाहनों पर ले जाया जा सकता है और सिर्फ 30 मिनट में ही इसको तैनात किया जा सकता है. यह NATO एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ACCS) के साथ भी एकीकृत होता है. यह बेहद खराब मौसम में भी काम कर सकता है और ट्रैकिंग प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए मौसम की जानकारी का विश्लेषण भी कर सकता है.</p>
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बस 30 मिनट में हो जाएगा खेल…. तुर्किए से अब कौन सा हथियार खरीद रहा PAK
