Thailand-Cambodia Tension: थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर 28 मई 2025 को एक झड़प हुई, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई. यह घटना उस विवादित क्षेत्र में हुई जहां आज तक कोई स्पष्ट सीमा-रेखा निर्धारित नहीं हुई है. इसके बाद से दोनों देशों की सेनाओं ने सीमा पर तैनाती बढ़ा दी है.
थाईलैंड के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री फुमथम वेचायाचाई ने आरोप लगाया कि कंबोडिया ने द्विपक्षीय वार्ता में शांति प्रस्तावों को खारिज किया और जानबूझकर तनाव को बढ़ाया. भारत-पाकिस्तान के हालिया तनाव के बाद अब एशिया के इन दो देशों के बीच युद्ध होने के आसार दिख रहे हैं.
थाई सेना ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कंबोडियाई सैनिक और नागरिक बार-बार थाई क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे हैं. थाईलैंड ने घोषणा की कि वह सभी सीमा चौकियों पर पूर्ण नियंत्रण रखेगा और “उच्च-स्तरीय सैन्य अभियान” के लिए तैयार है. थाई सरकार की ओर से यह बयान उनकी संप्रभुता की रक्षा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, लेकिन इससे यह भी संकेत मिलता है कि सीमा पर सैन्य कार्रवाई किसी भी समय तेज हो सकती है.
कंबोडिया की ओर से जवाब
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने एक भाषण में दोहराया कि उनका देश संघर्ष शुरू करने में विश्वास नहीं रखता, लेकिन अगर आक्रमण हुआ, तो बचाव के लिए पूरी तरह तैयार है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून और कंबोडिया की संप्रभुता की रक्षा को सर्वोपरि बताया.उन्होंने यह भी घोषणा की कि कंबोडिया अब विवादित सीमा क्षेत्रों को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाएगा. यह निर्णय उस समय लिया गया जब द्विपक्षीय वार्ताएं विफल हो गईं.
100 सालों से चला आ रहा विवाद
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसमें कई स्थानों पर संप्रभुता विवाद है. यह सीमा 1907 में फ्रांस द्वारा निर्धारित की गई थी जब कंबोडिया एक फ्रांसीसी उपनिवेश था. 2008 में विवाद ने 11वीं शताब्दी के प्रेआ विहेयर मंदिर को लेकर हिंसक रूप ले लिया था, जिसमें दर्जनों लोगों की जान गई और 2011 में एक सप्ताह तक तोपखाने की गोलाबारी भी हुई.
ASEAN और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, जो इस समय ASEAN अध्यक्ष हैं, दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन असफल रहे. यह पूरे ASEAN क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है.