भारत से उम्मीद, इजरायल से नफरत और US को वॉर्निंग… जानें ईरान के उप-राजदूत ने और क्या कहा

भारत से उम्मीद, इजरायल से नफरत और US को वॉर्निंग… जानें ईरान के उप-राजदूत ने और क्या कहा


Iran Israel war: ईरानी दूतावास की ओर से इजरायल संग चल रहे युद्ध को लेकर शुक्रवार (20 जून, 2025) को प्रेस ब्रीफिंग की गई. इस दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए डिप्टी चीफ ऑफ मिशन मोहम्मद जावेद हुसैनी ने कहा कि हम पर अकारण हमला किया गया. हम भारत के लोगों के सामने सही तस्वीर रखना चाहते हैं.

हुसैनी ने कहा कि इस युद्ध में ईरान के बेकसूर लोग मारे जा रहे हैं, लेकिन पश्चिमी मीडिया ये सब नहीं बता रहा है. हम चाहते हैं कि सभी देश इस हमले की आलोचना करें. उन्होंने कहा कि अगर इजरायल को हमास के बहाने फिलिस्तीनियों की हत्या करने से रोका गया होता तो आज यह स्थिति नहीं बनती. दुनिया इस हमले को रोकने को कहे.

ईरान के पास कितने परमाण हथियार?
डिप्टी चीफ ऑफ मिशन ने सवाल उठाते हुए कहा कि ईरान के पास 0 परमाणु हथियार हैं, जबकि इजरायल के पास 75 से 400 हैं. ईरान ने किसी देश पर हमला नहीं किया. इजरायल 5 देशों पर हमले कर चुका है. उन्होंने आगे कहा कि ईरान ने किसी निर्दोष को नहीं मारा, लेकिन इजरायल लगातार ऐसा करता रहा है.

‘वैश्विक शांति के लिए आगे आए भारत’
मोहम्मद जावेद हुसैनी ने कहा कि हम भारत का समर्थन करने के लिए धन्यवाद करते हैं और हम भारतीयों की सुरक्षित निकासी की व्यवस्था कर रहे हैं. हम भारत से उम्मीद करते हैं कि वैश्विक शांति के लिए इस हमले की निंदा करे और अगर भारत इस हमले की आलोचना करेगा तो दूसरे देश भी ऐसा करेंगे. सबकी आलोचना से ही इजरायल रुकेगा.

हुसैनी की अमेरिका को सीधी चेतावनी 
अमेरिका और पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए हुसैनी ने कहा कि यह इजरायल और ईरान का संघर्ष है, ऐसे में किसी तीसरे पक्ष का इसमें आना जटिलता बढ़ाएगा. अमेरिका को डेडलाइन तय करने का अधिकार किसने दिया जो वह ऐसी बात कर रहे हैं. हम अमेरिका पर भरोसा नहीं करते हैं, क्योंकि इजरायल अमेरिका के समर्थन से ऐसी कार्रवाई कर रहा है. हमारे पास कुछ अघोषित शक्तियां हैं, जिन्हें हमने भविष्य के लिए सुरक्षित रखा है.

‘हम इजरायल को मान्यता नहीं देते’
उन्होंने कहा कि हम शांति चाहते हैं लेकिन इजरायल के साथ नहीं बैठेंगे क्योंकि हम इजरायल को मान्यता नहीं देते. रूस और चीन जैसे देश मध्यस्थता करना चाहते हैं. साथ ही कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निश्चित रूप से कुछ नुकसान पहुंचा है, यह कितना है, अभी नहीं बताया जा सकता. 
 
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