जियो, एयरटेल या वीआई नहीं, ईरान में चलता है इस कंपनी का नेटवर्क, जानें क्यों विदेशी कंपनियों की नहीं है एंट्री

जियो, एयरटेल या वीआई नहीं, ईरान में चलता है इस कंपनी का नेटवर्क, जानें क्यों विदेशी कंपनियों की नहीं है एंट्री


ईरान में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला मोबाइल नेटवर्क है Hamrah-e-Aval या IR-MCI, जिसे फारसी में “पहला साथी” कहा जाता है. यह कंपनी 1993 में अस्तित्व में आई थी और यह ईरान सरकार के नियंत्रण में है. आज इसके पास 7 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं. यह देशभर में 2G, 3G और 4G सेवाएं देती है और अब 5G की टेस्टिंग भी शुरू हो चुकी है.

Hamrah-e-Aval को सरकार संचालित करती है जिससे यह नेटवर्क देश की सुरक्षा, डेटा कंट्रोल और मॉनिटरिंग के लिए पूरी तरह उपयुक्त माना जाता है. यही वजह है कि ज्यादातर ईरानी नागरिक इसी नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं.

Hamrah-e-Aval को सरकार संचालित करती है जिससे यह नेटवर्क देश की सुरक्षा, डेटा कंट्रोल और मॉनिटरिंग के लिए पूरी तरह उपयुक्त माना जाता है. यही वजह है कि ज्यादातर ईरानी नागरिक इसी नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं.

Hamrah-e-Aval के अलावा दो और प्रमुख नेटवर्क ईरान में काम करते हैं. Irancell (MTN Irancell): यह ईरान और साउथ अफ्रीका की कंपनी MTN का संयुक्त उपक्रम है. यह खासतौर पर डेटा यूजर्स के बीच काफी लोकप्रिय है. Rightel: यह नेटवर्क मुख्यतः 3G सेवाओं के लिए जाना जाता है और अब 4G विस्तार की दिशा में काम कर रहा है.

Hamrah-e-Aval के अलावा दो और प्रमुख नेटवर्क ईरान में काम करते हैं. Irancell (MTN Irancell): यह ईरान और साउथ अफ्रीका की कंपनी MTN का संयुक्त उपक्रम है. यह खासतौर पर डेटा यूजर्स के बीच काफी लोकप्रिय है. Rightel: यह नेटवर्क मुख्यतः 3G सेवाओं के लिए जाना जाता है और अब 4G विस्तार की दिशा में काम कर रहा है.

ईरान एक नियंत्रित डिजिटल व्यवस्था का पालन करता है. यहां विदेशी कंपनियों को टेलीकॉम सेक्टर में दाखिल होने की खुली छूट नहीं है. इसके पीछे कई अहम कारण हैं. ईरान पर अमेरिका सहित कई देशों ने कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं जिससे विदेशी टेक्नोलॉजी कंपनियों को वहां कारोबार करने की अनुमति नहीं मिलती.

ईरान एक नियंत्रित डिजिटल व्यवस्था का पालन करता है. यहां विदेशी कंपनियों को टेलीकॉम सेक्टर में दाखिल होने की खुली छूट नहीं है. इसके पीछे कई अहम कारण हैं. ईरान पर अमेरिका सहित कई देशों ने कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं जिससे विदेशी टेक्नोलॉजी कंपनियों को वहां कारोबार करने की अनुमति नहीं मिलती.

ईरानी सरकार चाहती है कि देश का डेटा देश के भीतर ही सुरक्षित रहे. इसी कारण वह स्वदेशी कंपनियों को प्राथमिकता देती है. भारत में जियो के करीब 470 मिलियन यूजर्स हैं जबकि ईरान की Hamrah-e-Aval के पास लगभग 66 मिलियन यूजर्स (2022 तक) हैं. भारत में 4G और 5G दोनों सेवाएं उपलब्ध हैं जबकि ईरान में 5G अभी ट्रायल फेज में है.

ईरानी सरकार चाहती है कि देश का डेटा देश के भीतर ही सुरक्षित रहे. इसी कारण वह स्वदेशी कंपनियों को प्राथमिकता देती है. भारत में जियो के करीब 470 मिलियन यूजर्स हैं जबकि ईरान की Hamrah-e-Aval के पास लगभग 66 मिलियन यूजर्स (2022 तक) हैं. भारत में 4G और 5G दोनों सेवाएं उपलब्ध हैं जबकि ईरान में 5G अभी ट्रायल फेज में है.

डाटा दरों की बात करें तो भारत में 1GB डेटा की कीमत लगभग ₹10–15 है, जबकि ईरान में यही डेटा ₹100 से भी अधिक में मिलता है. भारत की टेलीकॉम कंपनियां OTT प्लेटफॉर्म का फ्री सब्सक्रिप्शन देती हैं, जबकि ईरान में इस पर काफी नियंत्रण है और एक्सेस सीमित रहता है.

डाटा दरों की बात करें तो भारत में 1GB डेटा की कीमत लगभग ₹10–15 है, जबकि ईरान में यही डेटा ₹100 से भी अधिक में मिलता है. भारत की टेलीकॉम कंपनियां OTT प्लेटफॉर्म का फ्री सब्सक्रिप्शन देती हैं, जबकि ईरान में इस पर काफी नियंत्रण है और एक्सेस सीमित रहता है.

Published at : 25 Jun 2025 01:10 PM (IST)

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