<p style="text-align: justify;">भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने अंतरिक्ष प्रवास के अंतिम चरण में एक किसान की भूमिका में नजर आ रहे हैं. उन्होंने ‘पेट्री डिश’ में मूंग और मेथी उगाई, जिसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS) के फ्रीजर में रखा और इनकी तस्वीर साझा की. शुक्ला ने यह कार्य एक अध्ययन के तहत किया है, ताकि पता लगाया जा सके कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अंकुरण और पौधों के प्रारंभिक विकास को कैसे प्रभावित करता है.</p>
<p style="text-align: justify;">एक्सिओम-4 यान से आईएसएस पहुंचे शुक्ला और उनके साथी कक्षीय प्रयोगशाला में 12 दिन बिता चुके हैं. उनके फ्लोरिडा तट पर मौसम की स्थिति के आधार पर, 10 जुलाई के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर लौटने की उम्मीद है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अब तक आईएसएस से एक्सिओम-4 यान के अलग होने की तारीख की घोषणा नहीं की है. आईएसएस पहुंचे एक्सिओम-4 मिशन की अवधि 14 दिनों तक है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>शुभांशु शुक्ला ने बातचीत में क्या बताया?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">शुक्ला ने बुधवार (09 जुलाई, 2025) को एक्सिओम स्पेस की मुख्य वैज्ञानिक लूसी लो के साथ बातचीत में कहा, ‘मुझे बहुत गर्व है कि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) देशभर के राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करने और कुछ शानदार शोध करने में सक्षम रहा है, जो मैं सभी वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए आईएसएस पर कर रहा हूं. ऐसा करना रोमांचक और आनंददायक है.’<br /><br /><strong>कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा बीज</strong></p>
<p style="text-align: justify;">मेथी और मूंग के बीज को अंकुरित करने के प्रयोग का नेतृत्व दो वैज्ञानिकों, कर्नाटक के धारवाड़ स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय में कार्यरत रविकुमार होसामणि और यहीं स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सुधीर सिद्धपुरेड्डी कर रहे हैं. </p>
<p style="text-align: justify;">एक्सिओम स्पेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि एक बार पृथ्वी पर वापस आने के बाद बीजों को कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि उनके आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल में होने वाले बदलावों का पता लगाया जा सके.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बीजों के उगाने के प्रयोग की भी ली तस्वीरें</strong><br /><br />एक अन्य प्रयोग के तहत शुक्ला सूक्ष्म शैवाल ले गए हैं, जिनकी भोजन, ऑक्सीजन और यहां तक कि जैव ईंधन उत्पन्न करने की क्षमता की जांच की जा रही है. सूक्ष्म शैवालों के किसी भी परिस्थिति में ढल जाने की क्षमता उन्हें लंबी अवधि के मिशनों में मानव जीवन की मदद के लिए आदर्श बनाती है. </p>
<p style="text-align: justify;">शुक्ला ने बीजों के उगाने के प्रयोग की भी तस्वीरें लीं. इसके तहत मिशन के बाद भी कई पीढ़ियों तक छह किस्में उगाई जाएंगी. इसका लक्ष्य अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए आनुवंशिक विश्लेषण हेतु वांछनीय गुणों वाले पौधों की पहचान करना है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इस बात को लेकर उत्साहित हैं शुभांशु शुक्ला</strong></p>
<p style="text-align: justify;">शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष केंद्र पर उनके अनुसंधान कार्य विभिन्न क्षेत्रों और विषयों में फैले हुए हैं. शुक्ला ने कहा, ‘स्टेम कोशिका पर अनुसंधान से लेकर बीजों पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का अध्ययन करने और अंतरिक्ष यात्रियों पर पड़ने वाले प्रभाव मूल्यांकन करने तक अध्ययन किया. जब वह केंद्र में लगे स्क्रीन के साथ बातचीत करते हैं तो यह सब अनोखा होता है. मुझे अनुसंधानकर्ताओं और केंद्र के बीच इस तरह का जरिया बनने और उनकी ओर से अनुसंधान करने पर गर्व है.’</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा, ‘एक विशेष अनुसंधान जिसे लेकर मैं सचमुच उत्साहित हूं, वह है स्टेम कोशिका अनुसंधान, जिसमें वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या स्टेम कोशिकाओं में पूरक (सप्लीमेंट्स) जोड़कर स्वास्थ्य लाभ, वृद्धि या चोट से उबरने में तेजी लाना संभव है. मेरे लिए यह अनुसंधान करते हुए ग्लव बॉक्स में काम करना बहुत अच्छा रहा. मैं इसे करने के लिए सचमुच उत्साहित हूं.’</p>
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अंतरिक्ष में खेती कर रहे हैं शुभांशु शुक्ला! मूंग-मेथी से जीवन खोजने की कोशिश, शेयर की तस्वीरें
