ED, मुंबई जोनल कार्यालय ने Magnatel BPS Consultants and LLP नामक फर्जी कॉल सेंटर से जुड़े साइबर फ्रॉड की जांच के सिलसिले में अहमदाबाद, जयपुर, जबलपुर और पुणे में कई ठिकानों पर छापेमारी की है. यह कार्रवाई पुणे साइबर पुलिस की तरफ से दर्ज की गई FIR के आधार पर की गई, जिसमें 8 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
FIR के अनुसार, यह फर्जी कॉल सेंटर जुलाई 2024 से पुणे के प्राइड आइकॉन बिल्डिंग की 9वीं मंजिल से संचालित हो रहा था. आरोप है कि यह गिरोह अमेरिका के नागरिकों को नकली लोन स्कीम के जाल में फंसाकर उनके बैंक खाते और निजी विवरण हासिल करता था. जांच में सामने आया है कि आरोपी खुद को अमेरिकी बैंकों का प्रतिनिधि बताकर लोन ऑफर देता था और इस धोखे से पीड़ितों की संवेदनशील जानकारी हासिल कर लाखों डॉलर ठगते थे.
ठगी की राशि को ऐसे किया जाता था स्टोर
ED की प्रारंभिक जांच के अनुसार, ठगी की राशि को अमेरिका में मौजूद साथियों के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी (मुख्यतः USDT) में बदला गया और Trust Wallet, Exodus Wallet जैसे डिजिटल वॉलेट्स में स्टोर किया गया. बाद में इस धनराशि को पारंपरिक अंगड़िया चैनल के जरिए भारत लाकर अहमदाबाद में नकद में बदल दिया गया.
आगे की जांच में खुलासा हुआ कि इस फर्जीवाड़े से कमाई गई रकम का एक हिस्सा मूल कंपनी के खातों में ट्रांसफर किया गया, जिसका उपयोग सॉफ्टवेयर खरीद और ऑफिस का किराया देने में किया गया. वहीं, बड़ा हिस्सा सोना, चांदी, वाहन, रियल एस्टेट और निजी संपत्तियों की खरीद में खर्च किया गया.
छापेमारी में मिले ये सामान
छापेमारी के दौरान ED को 7 किलो सोना, 62 किलो चांदी, 1.18 करोड़ नकद, 9.2 करोड़ की अचल संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज और कॉल सेंटर की फर्जी गतिविधियों से जुड़े डिजिटल साक्ष्य मिले हैं. मामले में Sanjay More और Ajit Soni नामक दो साझेदारों को जयपुर से गिरफ्तार किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि मामले की जांच अभी जारी है और अन्य संलिप्त व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है.