प्रधानमंत्री के बारे में अभद्र कार्टून बनाने और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले हेमंत मालवीय ने अपना विवादित पोस्ट हटाने की बात कही है. इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका पर मंगलवार (15 जुलाई, 2025) को विचार करेगा. सोमवार को हुई सुनवाई में जजों ने हेमंत के रवैये को अपरिपक्व और भड़काऊ कहा.
8 जुलाई को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने हेमंत की अग्रिम जमानत याचिका ठुकरा दी थी. हाई कोर्ट ने RSS कार्यकर्ताओं, प्रधानमंत्री और दूसरे लोगों के अभद्र कार्टून बनाने और भगवान शिव के बारे में की गई टिप्पणी के लिए याचिकाकर्ता को आड़े हाथों लिया था. जज ने कहा था कि हेमंत ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है.
सोमवार, 14 जुलाई को जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कार्टूनिस्ट की याचिका सुनी. वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि प्रधानमंत्री के बारे मूल पोस्ट 2021 में हुआ था. यह कोविड वैक्सीन को लेकर व्यंग्य था. इस साल मई में एक फेसबुक यूजर ने अभद्र टिप्पणी के साथ उसे दोबारा पोस्ट किया. हेमंत ने उसे शेयर कर दिया. इसी के आधार पर यह एफआईआर हुई है.
जजों ने कहा कि कार्टूनिस्ट और कॉमेडियनों को भी अपने आचरण पर ध्यान देने की जरूरत है. इस मामले में याचिकाकर्ता की उम्र 50 साल से अधिक है, लेकिन उसका रवैया परिपक्व नहीं है. वृंदा ग्रोवर ने कहा कि वह सोशल मीडिया पोस्ट कठोर और अप्रिय लगने वाला था. कार्टूनिस्ट उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हटा देगा.
मध्य प्रदेश सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि पोस्ट हटा देने से अपराध खत्म नहीं हो जाएगा. संक्षिप्त सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे अगले दिन के लिए टाल दिया.
हेमंत मालवीय के खिलाफ इंदौर के RSS कार्यकर्ता और वकील विनय जोशी ने लसूड़िया पुलिस थाने में इस साल मई में एफआईआर दर्ज करवाई थी. एफआईआर में कहा गया था कि हेमंत ने आपत्तिजनक सामग्री डालकर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की है.