नोएडा में जगह-जगह डॉग फीडिंग पॉइंट बना रही महिला से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अपना घर कुत्तों के लिए क्यों नहीं खोल देती. कोर्ट ने कहा कि पशु प्रेमी चाहते हैं कि हर गली, हर सड़क को जानवरों के लिए छोड़ दिया जाए, उन्हें इंसानों से कोई मतलब नहीं है. हालांकि, इन तीखी टिप्पणियों के बाद कोर्ट ने मामले को इस विषय पर पहले से लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ लिया.
उत्तर प्रदेश के नोएडा की रहने वाली एक महिला ने कहा था कि उनके इलाके के लोग कुत्तों को खाना खिलाने पर उसे परेशान करते हैं. कोर्ट ने नोएडा प्रशासन से कहा कि वह ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स, 2023’ के प्रावधानों के तहत हर क्षेत्र में डॉग फीडिंग पॉइंट बनाए.
अपने घर को बना लें डॉग शेल्टर
याचिकाकर्ता की बात सुनने के बाद जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा, ‘हम आपको सलाह देते हैं कि आप अपने घर को डॉग शेल्टर बना लीजिए. अपने इलाके के हर कुत्ते को वहीं रखकर खाना खिलाइए.’ इसके बाद जजों ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह सुबह साइकिल चलाती है? वह ऐसा कर के देखें, तब पता चलेगा.
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह मॉर्निंग वॉक करती हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि पैदल चलने वालों को भी कुत्तों से खतरा है, लेकिन साइकिल या दोपहिया वाहन चलाने वाले लोगों के लिए यह खतरा और भी अधिक है. हमारे बीच कुछ ऐसे विशाल हृदय वाले लोग हैं, जो हर सड़क को पशुओं के नाम कर देना चाहते हैं. उनके हिसाब से उनमें इंसानों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया था ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट आने से पहले महिला ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रशासन पशु क्रूरता निरोधक कानून और दूसरे नियमों का पालन करते हुए आवारा पशुओं के लिए व्यवस्था बनाए, लेकिन कोई भी व्यवस्था बनाने से पहले वह लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें.
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