केंद्र ने शुक्रवार (18 जुलाई, 2025) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यमन में हत्या के जुर्म में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को सूचित किया गया कि निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लगा दी गई है. उसे 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी. याचिकाकर्ता संगठन ‘सेव निमिषा प्रिया- इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के वकील ने पीड़ित परिवार से बातचीत के लिए यमन जाने के वास्ते केंद्र से एक प्रतिनिधिमंडल बनाने का अनुरोध किया है.
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सरकार के समक्ष अपना पक्ष रख सकता है. पीठ ने कहा, ‘बार में कहा गया है कि फिलहाल फांसी पर रोक लगा दी गई है. याचिकाकर्ता सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहते हैं, जिसके लिए वे स्वतंत्र हैं.’ अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने जब कहा कि केंद्र के प्रयास जारी हैं, तो याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि फांसी पर रोक लगा दी गई है.
वकील ने कहा, ‘पहला कदम यह है कि उन्होंने इसे (फांसी को) फिलहाल टाल दिया है. हमें पहले क्षमादान पाना होगा. दूसरे चरण में ब्लड मनी देने की बात आती है. पहले परिवार को हमें माफ करना होगा.’ उन्होंने कहा कि उसके बाद ही ब्लड मनी पर बात हो सकती है.
वकील ने कहा कि यमन ऐसा देश नहीं है जहां कोई भी जा सकता है, वहां सरकार की अनुमति के बिना यात्रा पर प्रतिबंध है. इस पर पीठ ने कहा, ‘आप सरकार से संपर्क करें. सरकार इस पर विचार करेगी. सरकार पहले से ही आपके लिए बहुत कुछ कर रही है और अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रही है.’
याचिकाकर्ता के वकील ने आग्रह किया कि याचिकाकर्ता संगठन के दो या तीन लोगों के प्रतिनिधिमंडल और केरल के एक धार्मिक व्यक्ति के प्रतिनिधियों (जो इस मामले से जुड़े हैं) को पीड़ित परिवार से बातचीत करने के लिए यमन की यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए.
वकील ने कहा कि अगर केंद्र सरकार उचित समझे, तो सरकार का एक प्रतिनिधि भी यमन जा सकता है. वेंकटरमणी ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इस समय औपचारिक रूप से कुछ भी हो सकता है.’ जब पीठ ने प्रश्न किया कि क्या फांसी पर अनिश्चित काल के लिए रोक लगा दी गई है तो याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अभी तक कोई तारीख नहीं दी गई है.
वेंकटरमणी ने कहा, ‘इसका मतलब है कि कुछ तो काम हो रहा है.’ याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि निमिषा प्रिया की मां पीड़ित परिवार से बातचीत करने यमन गई थीं और दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से केंद्र सरकार से उन्हें यात्रा की अनुमति देने के अनुरोध के बाद वह वहां गईं.
उन्होंने कहा, ‘हम जाकर बातचीत कर सकते हैं और परिवार से माफी मांग सकते हैं ताकि कोई हल निकल सके.’ पीठ ने कहा, ‘हम कुछ नहीं कह रहे हैं. हम सिर्फ इतना कहेंगे कि वे सरकार से जो भी अनुरोध करना चाहें, करें. सरकार इस पर विचार करेगी. हम यह नहीं बता रहे हैं कि अनुरोध क्या होना चाहिए.’
वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार चाहती है कि प्रिया सुरक्षित बाहर आ जाएं और हर संभव कोशिश की जा रही है, लेकिन इस समय विस्तृत जानकारी साझा नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा, ‘यह बहुत मुश्किल स्थिति है.’ वेंकटरमणी ने कहा कि अदालत वह जो कह रहे हैं उन्हें मीडिया में प्रकाशित किया जा रहा है.
इस पर पीठ ने कहा, ‘यह कुछ ऐसा है जिसे हम रोक नहीं सकते. आप या तो बंद कमरे में कार्यवाही का अनुरोध करें, हम ऐसा करेंगे.’ वेंकटरमणी ने कहा, ‘मैं बस यही चाहता हूं कि यह महिला सुरक्षित बाहर आ जाए.’ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 अगस्त की तिथि निर्धारित की है.
सुप्रीम कोर्ट यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही प्रिया (38) को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने के वास्ते केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रही है.
निमिषा प्रिया को पहले फांसी 16 जुलाई को दी जानी थी. केरल के पलक्कड़ जिले की नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था. उसे 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और उसकी अंतिम अपील 2023 में खारिज कर दी गई थी. वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद है.