पहलगाम हमले के बाद 72 घंटे में पेश किए सबूत, TRF को आतंकी संगठन घोषित करने में भारत की पहल

पहलगाम हमले के बाद 72 घंटे में पेश किए सबूत, TRF को आतंकी संगठन घोषित करने में भारत की पहल


जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के महज तीन दिन के भीतर भारत ने अमेरिका को ठोस सबूत सौंप दिए थे, जिससे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF) को अमेरिका की आधिकारिक आतंकवादी संगठनों की लिस्ट में शामिल किया जा सका.

News18 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जो खुफिया जानकारियां और तकनीकी डेटा अमेरिका को सौंपा, वह US State Department के उच्च मानकों पर खरा उतरा. अमेरिका की यह प्रक्रिया इस मायने में अहम है क्योंकि यह यूएनएससी जैसे मंचों की राजनीतिक पेचीदगियों से काफी हद तक मुक्त रहती है. 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के तीन दिन बाद, 25 अप्रैल को भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस और फ्रांस जैसे प्रमुख देशों को हमले की पूरी जानकारी दी.

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने क्या बताया?

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इन देशों के राजनयिकों को बताया कि हमला कैसे हुआ, कितने लोग मारे गए और शुरुआती जांच में TRF का नाम सामने आया है. यह ब्रीफिंग G20 देशों के प्रतिनिधियों के लिए थी. भारत ने इन बैठकों में साफ कहा कि TRF कोई अलग संगठन नहीं, बल्कि पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा का ही नया रूप है. यह बात भारत ने अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को लगातार समझाई.

भारत ने अमेरिका के साथ क्या की बातचीत?

1. TRF, लश्कर-ए-तैयबा का ही प्रॉक्सी संगठन है और उसी के इशारों पर काम करता है.

2. भारत की NIA जांच में TRF के मास्टरमाइंड के रूप में शेख सज्जाद गुल का नाम सामने आया है.

3. TRF पहले भी कई आतंकी हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है.

4. इसकी गतिविधियां पाकिस्तान के दूसरे आतंकी संगठनों जैसी ही हैं.

भारत की इन बातों और सबूतों को अमेरिका ने गंभीरता से लिया. 18 जुलाई को TRF को आतंकी संगठन घोषित करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग ने माना कि भारत द्वारा दिए गए खुफिया इनपुट्स और सबूत पूरी तरह विश्वसनीय हैं और TRF, लश्कर का ही हिस्सा है.

इशाक डार ने की TRF को बचाने की कोशिश

इस बीच खबर यह भी है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने TRF को बचाने की कोशिश की थी. रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान से TRF का नाम हटवाया, जबकि TRF ने खुद पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी.

अमेरिका के फैसले के बाद भारत की कूटनीतिक जीत

इस फैसले से भारत को कूटनीतिक जीत मिली है और यह साबित हुआ है कि TRF, लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों का ही एक नया चेहरा है. साथ ही, यह कदम भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को भी मजबूत करता है.

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