Adani Group ने ईरान से LPG मंगाने के आरोप से किया किनारा, कहा-

Adani Group ने ईरान से LPG मंगाने के आरोप से किया किनारा, कहा-


अडानी ग्रुप एक बार फिर विवादों में घिरा, लेकिन इस बार खुद कंपनी ने मोर्चा संभालते हुए अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है. दरअसल, अमेरिका के मशहूर अखबार The Wall Street Journal (WSJ) ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि अडानी ग्रुप की कुछ कंपनियों का ईरानी LPG (Liquefied Petroleum Gas) से कथित तौर पर लिंक है और यह अमेरिका के प्रतिबंधों का उल्लंघन कर सकता है.

लेकिन अडानी एंटरप्राइजेज ने इस पर जोरदार जवाब देते हुए कहा, “हम इस रिपोर्ट को पूरी तरह से निराधार और शरारतपूर्ण मानते हैं. अडानी ग्रुप का ईरानी LPG से कोई जानबूझकर संपर्क या प्रतिबंधों की अनदेखी करने का कोई इरादा नहीं रहा है.”

अमेरिकी जांच की कोई जानकारी नहीं

अडानी ग्रुप ने यह भी स्पष्ट किया है कि उन्हें अमेरिकी अधिकारियों की ओर से किसी भी जांच की जानकारी नहीं है. कंपनी ने कहा कि WSJ की रिपोर्ट गलत धारणाओं और अटकलों पर आधारित है और यह खबर समूह की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की “जानबूझकर की गई कोशिश” है.

ईरानी जहाज़ों या कार्गो से कोई लेना-देना नहीं

कंपनी ने कहा कि उसके किसी भी पोर्ट पर ईरान से आने वाले कार्गो या ईरानी झंडे वाले जहाज़ों को नहीं हैंडल किया जाता. “हमारी पॉलिसी बिल्कुल साफ है, ईरानी माल या जहाज़ों को हमारी किसी बंदरगाह पर जगह नहीं दी जाती और हम किसी भी ईरानी स्वामित्व वाले शिप से जुड़ी कोई सुविधा नहीं देते.”

Oman से आया था LPG, पूरा डॉक्यूमेंटेशन मौजूद

WSJ की रिपोर्ट में जिस LPG शिपमेंट का ज़िक्र किया गया है, उस पर अडानी ग्रुप का कहना है कि वह एक “रूटीन कमर्शियल ट्रांजेक्शन” था, जो थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक पार्टनर्स के जरिए हुआ. कंपनी के मुताबिक उस शिपमेंट के सभी डॉक्यूमेंट्स में “Sohar, Oman” को पोर्ट ऑफ ओरिजिन बताया गया है, यानी यह माल ईरान से नहीं आया.

1.46 फीसदी से भी कम है LPG बिज़नेस का हिस्सा

अडानी ग्रुप ने यह भी बताया कि LPG व्यापार उनके कुल कारोबार का सिर्फ 1.46 फीसदी है और इस क्षेत्र में की जाने वाली सभी डील्स भारतीय और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों (जैसे अमेरिकी प्रतिबंध कानूनों) के तहत पूरी तरह से कंप्लायंट होती हैं.

कंपनी ने कहा, “हम हर सप्लायर का सही से KYC और ड्यू डिलिजेंस करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसी भी तरह की प्रतिबंधित सूची (जैसे OFAC) में शामिल ना हों.”

क्या यह फिर से अडानी के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश है?

अडानी ग्रुप पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स को “राजनीतिक एजेंडे” से प्रेरित बता चुका है. इस बार भी WSJ की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए यह साफ कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कंपनियों की छवि को नुकसान पहुंचाने की एक और कोशिश हो सकती है.

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