Kaveri Engine: क्या है कावेरी इंजन और X पर क्यों कर रहा ट्रेंड? जानें इसके बारे में सबकुछ

Kaveri Engine: क्या है कावेरी इंजन और X पर क्यों कर रहा ट्रेंड? जानें इसके बारे में सबकुछ


Kaveri Engine: कावेरी इंजन को लेकर सोशल मीडिया पर टेंड्र चल रहा है. डिफेंस एक्सपर्ट्स और सैंकड़ों लोगों ने सोमवार (26 मई, 2025) को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर केंद्र सरकार से इसके विकास को प्राथमिकता देने और तेजी लाने की मांग की है. ये इंजन सैन्य विमानन प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता की बड़ी खोज है इसलिए फंड कावेरी इंजन के नाम से X पर ट्रेंड चलाया जा रहा है. कई लोगों ने पीएम मोदी से इसके लिए फंड और संसाधन आवंटित करने की अपील की है.

कावेरी इंजन का टारगेट फाइटर जेट बनाने के लिए विदेशी इंजनों पर भारत की निर्भरता को कम करना है, जिससे रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा सके. #FundKaveriEngine ट्रेंड के जरिए रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया गया है.

क्या है कावेरी इंजन प्रोजेक्ट? 

यह इंजन भारत के गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (GTRE) द्वारा विकसित एक स्वदेशी जेट इंजन है, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत आने वाली एक प्रयोगशाला है. DRDO के अनुसार, यह एक लो-बाईपास ट्विन-स्पूल टर्बोफैन इंजन है जिसे लगभग 80 kN का थ्रस्ट उत्पन्न करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसका उद्देश्य शुरू में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस को शक्ति प्रदान करना था.

कावेरी इंजन में हाई टेंपरेचर और हाई स्पीड की स्थितियों में थ्रस्ट हानि को कम करने के लिए एक फ्लैट-रेटेड डिजाइन किया गया है. इसकी ट्विन-लेन फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (FADEC) प्रणाली अतिरिक्त विश्वसनीयता के लिए मैन्युअल बैकअप के साथ सटीक नियंत्रण सुनिश्चित करती है. यह डिजाइन इंजन को कई परिचालन स्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करने के सक्षम बनाती है.

फंड कावेरी इंजन ट्रेंड का क्या मकसद?

1980 के दशक में शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य अपने लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी इंजनों पर भारत की निर्भरता को कम करना था, लेकिन भारत के 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद प्रतिबंधों के कारण थ्रस्ट की कमी, वजन संबंधी मुद्दों और देरी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. 2008 में तेजस कार्यक्रम से इसे अलग कर दिया गया था, लेकिन अब घातक स्टेल्थ यूसीएवी जैसे मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के लिए इसे विकसित किया जा रहा है, जिसमें उड़ान के दौरान परीक्षण में हाल ही में प्रगति हुई है.

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