जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद एक बार फिर भारतीय वायुसेना की गरुड़ कमांडो यूनिट सुर्खियों में है. ये वही स्पेशल फोर्स है, जिसे देश के सबसे खतरनाक मिशनों के लिए तैयार किया जाता है. चाहे आतंकवाद हो या प्राकृतिक आपदा गरुड़ कमांडो हर मोर्चे पर जान की बाजी लगाकर डट जाते हैं. आइए जानें कि ये गरुड़ कमांडो आखिर कौन होते हैं, कैसे बनते हैं, कितनी सैलरी पाते हैं और इनकी ट्रेनिंग कितनी कठिन होती है.
गरुड़ कमांडो फोर्स की स्थापना सितंबर 2004 में हुई थी. इसका उद्देश्य था वायुसेना की संपत्तियों की सुरक्षा करना, खासकर जब कश्मीर घाटी में वायुसेना ठिकानों पर हमलों की घटनाएं बढ़ रही थीं. यह फोर्स सिर्फ लड़ने के लिए नहीं, बल्कि बचाव, सुरक्षा और इंटेलिजेंस जैसे मिशनों में भी मास्टर मानी जाती है.
कैसे होती है गरुड़ कमांडो की भर्ती?
गैर-कमीशंड पदों (Airmen) के लिए चयन वायुसेना की सामान्य भर्ती प्रक्रिया से शुरू होता है. इसके अंतर्गत फिजिकल टेस्ट, इंटरव्यू और साइकोलॉजिकल टेस्ट होते हैं. एक बार असफल होने पर दोबारा मौका नहीं मिलता. कमीशंड ऑफिसर बनने के लिए उम्मीदवारों को AFCAT परीक्षा पास करनी होती है. इसके बाद उन्हें हैदराबाद स्थित एयरफोर्स अकादमी में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. यह प्रक्रिया नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक सोच को मजबूत करती है.
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गरुड़ कमांडो की ट्रेनिंग
गरुड़ कमांडो की ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है. इसमें फिजिकल एंड्योरेंस, दिमागी मजबूती, हथियारों का संचालन, स्काई डाइविंग, जंगल वारफेयर और अर्बन ऑपरेशन जैसे कई मोड्यूल शामिल होते हैं. यह ट्रेनिंग महीनों चलती है और केवल वही सफल होते हैं, जो हर हालात में मानसिक और शारीरिक रूप से टिके रहें.
कितनी होती है गरुड़ कमांडो की सैलरी?
गरुड़ कमांडो को उनके काम और जोखिम के आधार पर सैलरी मितली है. रिपोर्ट्स के अनुसार इनकी सैलरी करीब 70 हजार रुपये से शुरू होती है. साथ ही अधिकतम सैलरी 2,50,000 प्रति माह तक होती है, जो उनके रैंक और अनुभव पर निर्भर करती है. इसके अलावा उन्हें ड्यूटी अलाउंस, हाई रिस्क अलाउंस और स्पेशल ऑपरेशन इंसेंटिव भी मिलता है.
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