Tahawwur Rana Extradition: डेनमार्क के अखबार का कार्टून, हमले की प्लानिंग और पकड़ा गया तहव्वुर

Tahawwur Rana Extradition: डेनमार्क के अखबार का कार्टून, हमले की प्लानिंग और पकड़ा गया तहव्वुर


उसने प्लानिंग तो इतने करीने से की थी कि शायद ही उसे कोई हाथ लगा पाता. वो अपने मकसद में कामयाब भी हुआ. सैकड़ों लोगों की जान ले ली. गुमनाम भी रहा और फरार होकर आराम से विदेश में अपनी जिंदगी जीने लगा, लेकिन अखबार में छपे एक कार्टून ने उसे फिर से उकसा दिया. उसने उस अखबार पर हमला करने की ठानी. प्लानिंग में जुटा और इस प्लानिंग के दौरान ही वो पकड़ा भी गया. जब पकड़ा गया तो पता चला कि अखबार पर हमले की साजिश रचने वाला कोई और नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा का वो आतंकी है, जिसने हिंदुस्तान की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हुए सबसे घातक हमले को अंजाम दिया था.

ये कहानी है पाकिस्तानी सेना के डॉक्टर रहे डॉ. तहव्वुर हुसैन राना की, जिसने अपने बचपन के दोस्त की मदद से मुंबई पर हुए उस हमले को अंजाम दिया था, इस हमले के बारे में सोचकर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है.

पाकिस्तान में तहव्वुर राणा कहां से है?
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक जगह है चिचावाटनी. जिला लगता है साहीवाल. तहव्वुर यहीं पर पैदा हुआ था. पिता लाहौर के एक स्कूल में प्रिंसिपल थे. इस्लाम की शुरुआती तालीम लेने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इसने कैडेट कॉलेज हसन अब्दाली में दाखिला लिया. ये एक मिलिट्री स्कूल था, जिसे पाकिस्तानी तानाशाह मोहम्मद अयूब खान ने बनवाया था. तो जाहिर है कि दीनी तालीम के साथ-साथ दुनियावी तालीम और हथियारों की तालीम भी उसे स्वाभाविक तौर पर मिल गई, लेकिन उसने पेशे के तौर पर डॉक्टरी को चुना और डॉक्टर बनकर पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गया.

कैसे बना कनाडाई नागरिक?
तहव्वुर ने निकाह भी किया तो एक डॉक्टर से ही. फिर पाकिस्तानी सेना की खिदमत के बाद तहव्वुर साल 1997 में कनाडा चला गया. अपने पूरे परिवार को साथ लेकर, जिसमें उसके माता-पिता भी थे. उसका भाई कनाडा के एक अख़बार द हिल टाइम्स में पत्रकार था. उसका एक और भाई पाकिस्तानी सेना में ही था, लेकिन वो सबको लेकर कनाडा चला गया. करीब चार साल तक कनाडा में रहने के बाद उसे नागरिकता भी मिल गई और तहव्वुर पाकिस्तानी से कनाडाई नागरिक बन गया और एक बिजनेसमैन भी.

अमेरिका में बनाई इमीग्रेशन एजेंसी
सेना से निकलने के बाद उसने एक इमिग्रेशन एजेंसी स्थापित की, जो किसी एक देश के नागरिक को दूसरे देश में भेजने का काम करती थी. पाकिस्तान से निकलने और कनाडा के नागरिक बनने के दौरान तहव्वुर को इमिग्रेशन के सारे दांव-पेच मालूम हो गए थे, तो उसने अपना कारोबार फैलाने में कोई दिक्कत नहीं हुई. जैसा कि आम तौर पर होता है कि दुनिया भर के तमाम नागरिकों का ख्वाब अमेरिका जाना और वहीं का होकर रह जाना होता है, तो तहव्वुर ने इस सेंटिमेंट को कैश करवाने के लिए अमेरिका में ही सबसे ज्यादा इमिग्रेशन सेंटर खोले. 

तहव्वुर अमेरिका में चलाता था कसाईखाना
कनाडा के टोरंटो के बाद उसने अमेरिका के शिकागो और न्यू यॉर्क में अपना धंधा फैलाया. शिकागो में तो उसने एक कसाईखाना भी खोल दिया, जहां जानवर हलाल किए जाते थे, लेकिन ये सब उसके दिखावे के धंधे थे. इस बात का पता तब चला जब साल 2009 में अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों ने डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की प्लानिंग के आरोप में तहव्वुर और उसके दोस्त हेडली को गिरफ्तार किया. ये हेडली तहव्वुर का पुराना दोस्त था, जो उसे कैडेट कॉलेज हसन अब्दाली में पढ़ाई के दौरान ही मिला था.

कैसे हुई थी तहव्वुर की गिरफ्तारी?
जैसे-जैसे अमेरिकी सुरक्षा एजेसियों की जांच आगे बढ़ी, तहव्वुर के कारनामे एक-एक करके खुलते चले गए और जब पता चला कि मुंबई पर हुए 26/11 का हमला किसी और ने नहीं बल्कि तहव्वुर और उसके दोस्त दाउद सईद गिलानी उर्फ हेडली ने करवाया था, अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों की भी नींद हराम हो गई.

अमेरिका ने तो तहव्वुर को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया था, क्योंकि तहव्वुर उस अखबार पर हमले की प्लानिंग कर रहा था, जिसने करीब चार साल पहले पैगंबर का विवादित कार्टून छापा था, लेकिन गिरफ्तारी के बाद हुई जांच में ये सामने आ गया कि तहव्वुर कोई बिजनेस मैन नहीं बल्कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठनों में से एक लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी है, जिसकी जड़ें पाकिस्तान, उसकी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ी हैं, जहां तहव्वुर डॉक्टर के तौर पर काम कर चुका है और जहां से निकले इलियासी कश्मीरी ने उसे लश्कर का हथियार बना रखा है.

कैसे की थी 26/11 हमले की प्लानिंग?
फिर तो ये भी पता चल गया कि तहव्वुर राना ने जो इमिग्रेशन एजेंसी खोली थी, उसका मकसद ही आतंकियों की भर्ती करना था और उसकी ब्रांच कनाडा और अमेरिका में ही नहीं बल्कि भारत में भी थीं. इसी इमिग्रेशन एजेंसी के काम की आड़ में तहव्वुर ने हेडली के साथ मिलकर मुंबई की रेकी की, उसकी सारी जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर को मुहैया करवाई और उसकी ही जानकारी के आधार पर लश्कर ने 26/11 जैसा हमला किया, जिसमें 170 से भी ज्यादा लोग मारे गए. अब करीब 16 साल अमेरिकी जेल में बिताने के बाद यही तहव्वुर भारत आ रहा है. पहले अमेरिका में सजा काट चुके तहव्वुर को अब भारत के कानून का सामना करना पड़ेगा. इसमें किसी को कोई हैरत नहीं होगी कि भारत में तहव्वुर के भर्ती किए गए लड़ाकों और अजमल कसाब का जो अंजाम हुआ, तहव्वुर का अंजाम भी उससे कोई जुदा नहीं होगा.

 

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