Tariff War: टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से दुनियाभर के देश टेंशन में हैं. ट्रंप की ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ यानी ‘जैसा का तैसा’ टैरिफ वाली नीति से बचने के लिए कई देश व्हाइट हाउस का दरवाजा खटखटा रहे हैं. खुद ट्रंप ने यह बात कही है. उन्होंने यह भी कहा है कि वह इन देशों के साथ अलग-अलग समझौतों पर बातचीत करने के लिए तैयार हैं.
ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन समेत कई देशों ने रेसिप्रोकल टैरिफ से बचने और नए टैरिफ सौदे के लिए अमेरिका से संपर्क किया है. लेकिन इस तरह के सौदों पर तभी विचार किया जाएगा जब उनका प्रशासन 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करेगा.
ट्रंप ने पत्रकारों के साथ बातचीत में बताया, ‘वे सौदे करना चाहते हैं. अगर हमें इन सौदों के बदले कुछ मिलेगा तो संभव है कि हम उनके प्रस्तावों को स्वीकार करें. मैं निश्चित रूप से इसके लिए तैयार हूं. अगर हम कुछ ऐसा कर सकें जिससे हमें इस बदले कुछ मिले तो यह जरूर किया जाएगा.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या ऐसे सौदे 2 अप्रैल से पहले हो सकते हैं, तो ट्रम्प ने कहा, ‘नहीं, यह बाद में होंगे.’
क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ?
ट्रंप प्रशासन 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ की नीति लागू कर रहा है. इसके तहत अमेरिकी उत्पादों के आयात पर जो देश जितना टैरिफ लगा रहा है, उस देश के उत्पादों के अमेरिका में आयात पर भी उतना ही टैरिफ वसूला जाएगा. ट्रंप की इस घोषणा के बाद से ही दुनियाभर के देशों ने इस टैरिफ से बचने के लिए अमेरिका के कई उत्पादों पर टैरिफ कम किया है, इसमें भारत भी शामिल है.
टैरिफ में रियायत के लिए EU का प्लान
यूरोपीय संघ (EU) अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ से बचने के लिए उन रियायतों की रूपरेखा तैयार कर रहा है जो वह ट्रंप प्रशासन को पेश करेगा. हालांकि इस सप्ताह वाशिंगटन में बैठकों के दौरान, यूरोपीय संघ के अधिकारियों को अमेरिकी अधिकारियों द्वारा बता दिया गया था कि अगले सप्ताह लागू होने वाले नए ऑटो और रेसिप्रोकल टैरिफ को टाला नहीं जा सकता. जवाब में EU ने संभावित समझौते के लिए मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया. इसमें यूरोपीय संघ के टैरिफ को कम करना, अमेरिका के साथ आपसी निवेश बढ़ाना और कुछ नियमों और मानकों को आसान बनाना शामिल है.