Congress Leader Supriya Shrinate : कांग्रेस ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) की ओर से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के पूर्व कार्यकारी निदेशक केवी सुब्रमण्यन की लिखी “इंडिया@100” नाम की किताब की दो लाख प्रतियां खरीदने की जांच की मांग की है. कांग्रेस सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म विभाग की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में केवी सुब्रमण्यन का कार्यकाल अचानक समाप्त कर दिया, जबकि उनके कार्यकाल में अभी छह महीने बाकी थे.”
सुप्रिया श्रीनेत ने बर्खास्तगी का स्पष्ट कारण न बताने का लगाया आरोप
केवी सुब्रमण्यन की इस बर्खास्तगी पर कोई स्पष्ट कारण न बताए जाने का जिक्र करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि सरकारी बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यन की लिखी गई किताब “इंडिया@100” की लगभग दो लाख प्रतियां ऑर्डर की थीं, जिसकी कुल कीमत 7.25 करोड़ रुपये से अधिक है. बैंक ने इसके लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये का एडवांस पेमेंट भी कर दिया है. इन किताबों का वितरण यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय और आंचलिक कार्यालयों के माध्यम से बैंक के खाताधारकों, स्कूलों, कॉलेजों आदि में किया जाना था.
पिछली सरकारों पर आरोप लगाने के लिए जनता के पैसे का हो रहा इस्तेमाल- श्रीनेत
कांग्रेस नेता ने सुब्रमण्यन को प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा का “जाना-माना भक्त” बताते हुए इस खरीद को भोंडा प्रचार करार दिया. उन्होंने कहा, “यह खरीद सरकार की हर गलत नीति को सही ठहराने और पिछली सरकारों की आर्थिक नीतियों के खिलाफ निराधार आरोप लगाने के लिए भाजपा कार्यालय से नहीं, बल्कि आम जनता के पैसे से की जा रही है.” श्रीनेत ने आश्चर्य व्यक्त किया, “जब देश बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहा है, तब सरकार, सरकारी बैंक के माध्यम से दो लाख किताबों की प्रतियां खरीद रही थीं.”
कांग्रेन नेता सुप्रिया श्रीनेत ने दागे कई सवाल
कांग्रेस नेता ने इस मामले में सार्वजनिक धन की बर्बादी और घोर अनियमितता से जुड़े कई सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सुब्रमण्यन की किताब पर खर्च करने के लिए अपने बोर्ड या वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग से पहले से अनुमति ली थी? क्या मोदी सरकार का वित्त मंत्रालय यह बताएगा कि क्या यह खर्च बैंक का अपने जमाकर्ताओं और इस देश के करदाताओं के प्रति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की जिम्मेदारी के अनुसार है? क्या केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस लेन-देन पर सफाई देंगी? इसका जवाब कौन देगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय इसमें क्यों और किस हद तक शामिल था. क्या वित्त मंत्रालय ने जांच की है कि सुब्रमण्यन की मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में पिछली भूमिका और सरकार में बैठे प्रमुख लोगों के साथ उनकी निकटता को देखते हुए यह लेनदेन वास्तव में हितों के टकराव का मामला है.
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का सरकार और जनता के प्रति अलग रुख- श्रीनेत
श्रीनेत ने आगे कहा, “यूनियन बैंक की MD और CEO मणिमेखलाई ने अपनी एक्सटेंशन के लिए यह खरीद अपरोक्ष रिश्वत के रूप में की है. ऑल इंडिया यूनियन बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन ने भी इस खरीद की जांच की मांग की है.
कांग्रेस नेता ने यह भी याद दिलाया कि 2023-24 में सभी सरकारी बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस के नाम पर सिर्फ जुर्माने में 2,331 करोड़ रुपये आम जनता से वसूले थे, जिसमें से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अकेले 126 करोड़ रुपये झटके थे. ये दिखाता है कि चरणवंदन करने वाले केवी सुब्रमण्यन जैसे लोगों के लिए सरकार का क्या रुख है और आम जनता के लिए सरकार का क्या रुख है.
IMF में पाकिस्तान को नहीं मिलेगा कर्ज
श्रीनेत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने IMF से 1.3 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है. कांग्रेस ने 29 अप्रैल को ही कहा था कि हमें उम्मीद है कि भारत की सरकार इसका कड़ा विरोध करेगी. इसके बाद ऐसी खबरें हैं कि भारत ने IMF से पाकिस्तान के कर्ज और फंडिंग की समीक्षा की मांग की है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत की यह मांग मानी जाएगी और पाकिस्तान को कर्ज नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के दोषियों को हर हाल में सजा भुगतनी ही होगी, कांग्रेस पूरी तरह सरकार के साथ है.