Pakistan UNSC Presidency: पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने के बाद मंगलवार को भारत ने ‘इस्लामाबाद’ की सीमा पार आतंकवाद में संलिप्तता को उजागर किया. भारत ने हाल के पहलगाम नरसंहार पर ध्यान दिलाया, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किया गया था. यह कदम वैश्विक स्तर पर बढ़ती अस्थिरता की चिंता के बीच उठाया गया है, जब भारत ने हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया.
पाकिस्तान के अध्यक्ष बनने से एक दिन पहले भारत ने संयुक्त राष्ट्र भवन के प्रवेश द्वार पर ‘द ह्यूमन कॉस्ट ऑफ टेररिज्म’ नामक प्रदर्शनी आयोजित कर पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका को उजागर किया, जिसमें न केवल भारत बल्कि 9/11 जैसे वैश्विक हमलों में भी उसकी संलिप्तता दिखाई गई.
आतंकवाद के पीछे के दोषियों को करेंगे बेनकाब: विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह प्रदर्शनी आतंकवाद के पीछे के दोषियों को बेनकाब करने और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की मांग के लिए है. सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान अपने ‘सदाबहार मित्र’ चीन के साथ मिलकर काम करता है. अध्यक्ष के रूप में पाकिस्तान को प्रक्रिया के नियमों और कूटनीतिक परंपराओं का पालन करना होगा, जिसमें सदस्यों को बोलने की अनुमति देना और प्रस्ताव पेश करना शामिल है.
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की ओर किया इशारा
उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब आतंकवाद को किसी देश द्वारा पड़ोसी के खिलाफ समर्थन दिया जाता है और यह कट्टरतावाद की भावना से प्रेरित होता है तो आतंकवाद की सार्वजनिक रूप से निंदा करना जरूरी है
एस. जयशंकर ने कहा, ‘‘जब आतंकवाद को पड़ोसी देश के खिलाफ समर्थन दिया जाता है, जब इसे चरमपंथ की कट्टरता से बढ़ावा मिलता है, जब यह तमाम तरह की अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देता है, तो इसे सार्वजनिक रूप से उजागर करना जरूरी है और ऐसा करने का एक तरीका यह है कि वैश्विक समाज में इसके द्वारा मचाई गई तबाही को प्रदर्शित किया जाए.’’
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हम यहां आतंकवाद की चुकाई गई मानवीय कीमत को उजागर करने वाली प्रदर्शनी के लिए ‘‘गंभीरता की भावना के साथ एकत्र हुए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रदर्शनी उन लोगों को आवाज देने का एक विनम्र लेकिन दृढ़ प्रयास है जो अब बोल नहीं सकते, यह उन लोगों के लिए श्रद्धांजलि है जो हमसे दूर हो गए और जिनकी जिंदगी आतंकवाद के कहर से तबाह हो गई.’’ विदेश मंत्री ने कहा कि प्रदर्शनी में शामिल चित्र और दृश्य, प्रत्येक क्षण, प्रत्येक स्मृति, प्रत्येक कलाकृति और प्रत्येक शब्द एक नष्ट हो गई जिंदगी की कहानी बयां करता है.
‘आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक’, बोले एस. जयशंकर
एस. जयशंकर ने रेखांकित किया कि आतंकवाद के पीड़ितों के परिवारों का दर्द ‘‘आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने की हमारी साझा जिम्मेदारी की तत्काल आवश्यकता की एक स्पष्ट याद दिलाता है.’’ उन्होंने कहा कि यहां संयुक्त राष्ट्र में, ‘‘हमें न केवल याद रखना चाहिए’’ बल्कि उन मूल्यों और मानवाधिकारों के लिए कार्य करने, उनकी रक्षा करने और उन्हें बनाए रखने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध’’ होना चाहिए जिन्हें आतंकवाद नष्ट करना चाहता है.
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है. यह संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार, नियम और मानदंड तथा राष्ट्रों को एक-दूसरे के साथ किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए के सभी मान्यताओं के विपरीत है.’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘किसी भी देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को उजागर किया जाना चाहिए. अब तक हम अच्छी तरह से जान चुके हैं कि कहीं का भी आतंकवाद हर जगह की शांति के लिए खतरा है. इस समझ को हमारी सामूहिक सोच और प्रतिक्रिया का मार्गदर्शन करना चाहिए.’’
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