अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड टैरिफ को लेकर चल रही बातचीत के बीच अब H-1B वीजा से जुड़ी एक बड़ी अपडेट सामने आई है। ट्रंप सरकार ने मौजूदा लॉटरी सिस्टम को खत्म कर “सैलरी आधारित वेटेड सिलेक्शन प्रोसेस” लागू करने का प्रस्ताव रखा है। यह बदलाव हर साल मिलने वाले 85,000 H-1B वीजा पर लागू होगा, जिसमें 20,000 वीजा मास्टर डिग्री होल्डर्स के लिए आरक्षित रहते हैं। IFP की रिसर्च के अनुसार, अगर यह नया सिस्टम लागू होता है तो पहली बार वीजा पाने वालों की औसत सैलरी $106,000 से बढ़कर $172,000 तक पहुंच सकती है। इससे अमेरिकी लेबर मार्केट में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। यह कदम खासकर उन आउटसोर्सिंग कंपनियों के लिए झटका होगा, जो कम वेतन पर विदेशी कामगारों को नियुक्त करती हैं। वहीं, पीएचडी होल्डर्स और हाईली स्किल्ड प्रोफेशनल्स को इससे काफी फायदा हो सकता है। हालांकि, इस बदलाव से H-1B वीजा प्रोग्राम की आर्थिक लागत 88% तक बढ़ सकती है। गौरतलब है कि 2023 में जारी कुल H-1B वीजा में से 72.3% भारतीय पेशेवरों को दिए गए थे। ऐसे में यह बदलाव भारतीयों को सीधे प्रभावित कर सकता है।