US ने रूस पर लगाए कंगाल करने वाले बैन, अब क्या करेंगे पुतिन? जानें भारत-चीन पर पड़ेगा क्या असर

US ने रूस पर लगाए कंगाल करने वाले बैन, अब क्या करेंगे पुतिन? जानें भारत-चीन पर पड़ेगा क्या असर


US imposes sanctions on Russia : अमेरिका ने रूस के ऊर्जा उद्योग पर नए और अभूतपूर्व प्रतिबंधों का ऐलान किया है. निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. अमेरिका के इस कदम के पीछे उद्देश्य रूस को यूक्रेन में युद्ध के लिए मिल रहे राजस्व को कम करने का है. उल्लेखनीय है कि रूस ने भारत और चीन को बड़ी मात्रा में तेल बेचा है. लेकिन अब अमेरिका के इन नए और अभूतपूर्व प्रतिबंधों के कारण रूस के तेल बिक्री में कमी आ सकती है, जिससे भारत और चीन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.

अमेरिका के सहयोगियों ने भी लगाए प्रतिबंध

अमेरिका के साथ-साथ उसके दो खास सहयोगी जापान और ब्रिटेन ने भी रूस पर प्रतिबंधों का ऐलान किया है. अमेरिका के नए ऐलान में 200 से अधिक संस्थानों और लोगों पर बैन लगाए गए हैं, जिसमें बीमा कंपनी, व्यापारी और तेल टैंकर शामिल हैं.

यूक्रेन को 500 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त सैन्य सहायता देगा यूएस

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के लिए 500 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त सैन्य सहायता की घोषणा की है. इसके एक दिन बाद ही रूस पर यह अभूतपूर्व प्रतिबंध लगाए गए हैं. यूएस ने रूस के सबसे महत्वपूर्ण तेल उत्पादकों और निर्यातकों में से दो गजप्रोम नेफ्ट और सुरगुटनेफ्टेगास और उनकी सहायक कंपनियों को अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की सैंक्शन लिस्ट में जोड़ा है.

सही से लागू हुआ प्रतिबंध तो रूस के राजस्व में आएगी कमी

अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने एक बयान में कहा, “हम रूस के तेल व्यापार से जुड़े प्रतिबंध जोखिम को बढ़ा रहे हैं, जिसमें रूस के तेल निर्यात के समर्थन में शिपिंग और वित्तीय सुविधा शामिल है.” एक्सपर्ट्स ने कहा, “अगर ये प्रतिबंध सही से लागू होते हैं तो इससे रूस के राजस्व में कमी आ सकती है और रूस पर हर महीने अरबों डॉलर की लागत बढ़ सकती है.”

भारत और चीन पर प्रतिबंधों को क्या पड़ेगा असर?

हालांकि अब ये देखना दिलचस्प होगा कि यूएस के प्रतिबंधों से रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदारों को कितना रोका जा सकेगा. इन खरीदारों में भारत, चीन, तुर्की, ब्राजील जैसे देश शामिल है, जो रूस से रिकॉर्ड मात्रा में तेल खरीद रहे हैं. वहीं, एक्सपर्ट्स ने कहा, “ये सभी देश इन प्रतिबंधों को भी पूर्व में लगे सैंक्शन्स की तरह धता बता सकते हैं. जिसकी सबसे बड़ी वजह गैर-डॉलर कैरेंसी में लेन-देन हैं.”

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